भौतिक समस्याओं का आध्यात्मिक उपचार है - मंत्र || Suresh Shrimali

भौतिक समस्याओं का आध्यात्मिक उपचार है  
मंत्र

तो सबसे पहले हम उस दिव्य शक्ति की चर्चा करेंगे जिसे मंत्र कहा जाता है। सुनने में छोटा सा शब्द है मंत्र, लेकिन यह परमाणु शक्ति से भी अधिक शक्ति वाला है तो समस्त सुखों व सिद्धियों का दाता भी है। मंत्र न तो काल्पनिक कविता है न आधारहीन रचना है। मंत्र एक सत्य है, यह सचेतन शास्त्र है, यह महानतम ऐसी तकनीक है जिसकी रचना तपस्वी ऋषियों ने की है। मंत्र विज्ञान को विशुद्घ वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित माना गया है। ग्रहों के दुष्प्रभावों को रोकने के लिए मंत्रों की भाषा, उसका उच्चारण पूर्णतः वैज्ञानिक है। इन्ही से आन्तिरिक विद्युत धारा प्रवाहित होकर सम्बंधित देवी-देवताओं तक पहुंचकर अभीष्टता के लिए प्रेरित करती है। मंत्र क्या है? जो मन को एक तंत्र में लेकर आ जाए वह मंत्र हुआ। शास्त्रों में कहा गया है- मननात् त्रायते इति मंत्र - यानी मनन करने पर जो त्राण दे, रक्षा करे वही मंत्र है। दिव्य शक्तियों की कृपा प्राप्त करने में जो उपयोगी शब्द शक्ति है उसे मंत्र कहते हैं। अदृश्य अथवा गुप्त शक्ति को जागृत करके अपने अनुकूल बनाने वाली विद्या को मंत्र कहते हैं। मंत्र का अर्थ है मन को एक तंत्र में लाना। एक लय के साथ निरंतर एक ही मंत्र के जप से मन केन्द्रित होता है। मन जब मन के अधीन हो जाता है तो वह सिद्ध होने लगता है। इस तरह हम कह सकते हैं कि मंत्र साधना वह है जिससे हम भौतिक समस्याओं का आध्यात्मिक उपचार करते हैं। मंत्र की शक्ति दिखाई नहीं देती। जैसे दूध में मक्खन या मक्खन में घी दिखाई नहीं देता लेकिन दूध में मौजूद होता है। माचिस में आग दिखाई नहीं देती लेकिन होती तो है। बीज में वृक्ष दिखाई नहीं देता, लेकिन बीज में वृक्ष बनने की संभावना तो है। ठीक इसी प्रकार मंत्रों में भी शक्ति है लेकिन वह दिखाई नहीं देती। हां जब मंत्रों से शक्ति जागृत हो जाती है तो दुर्भाग्य को सौभाग्य मेें बदलता हुआ और अशुभ को शुभ होता देखा जा सकता है। आपको मालूम नहीं मंत्र शक्ति से असंभव को संभव बनाने के कई उदाहरण है। मंत्रों की शक्ति से वर्षा करवाना, मंत्र शक्ति से अग्नि प्रज्जवलित करना और मंत्र शक्ति से वर्षा बाधित करना तक संभव है और हमारे ऋषि-मुनियों ने ऐसा किया भी है। तानसेन ने राग मल्हार से वर्षा करवा दी थी, वह राग भी मंत्र का ही एक रूप है। 


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