हनुमानजी ने तोड़ा शनि का अभिमान || Suresh Shrimali
हनुमानजी ने तोड़ा
शनि का अभिमान
शनिदेव फिर हनुमानजी से तिल और तेल देने के लिए कहते हैं ताकि वे उसे लगाकर अपने दर्द से निजात पा सके। ऐसी मान्यता है, तभी से शनिदेव के नाम से तिल और तेल चढ़ाने का प्रचलन प्रारंभ हुआ।
हनुमानजी और शनिदेव की इस कहानी का एक आध्यात्मिक महत्व भी है कि प्रत्येक बार गर्व और अहंकार में चूर शनिदेव जब भी विनम्र हनुमानजी से मिलते थे तो सभी स्वार्थी कर्मों का सामना निस्वार्थ हनुमानजी को करना पड़ता था। हालाँकि हर बार सकंट मोचन महाबली हनुमानजी अपनी विनम्रता और नम्रता से जीत जाते थे।
जब हनुमान जी के कोप से बचने के लिए शनि देव को बनना पड़ा स्त्री
क्या आप सभी जानते है कि महाबलि शनि को हनुमान जी के प्रकोप से बचने के लिए स्त्री का रूप धारण करना पड़ा। आइये मैं आपको बताता हूँ-
जब शनिदेव का प्रकोप काफी बढ़ गया था तब सभी ने हनुमानजी से प्रार्थना की कि वे शनिदेव के कोप को शांत करें। उस समय श्रद्धालुओं की प्रार्थना सुनकर वे शनि पर क्रोधित होकर युद्ध के लिए रवाना हुए। यह सुनकर शनि देव बहुत भयभीत हो गए और भयभीत शनिदेव ने हनुमानजी से बचने के लिए स्त्री रूप धारण कर लिया।
क्योंकि वे जानते थे कि हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी हैं और वे स्त्रियों पर हाथ नहीं उठाते हैं। जब हनुमानजी शनिदेव के सामने पहुंचे तब स्त्री रूप में शनि हनुमानजी के चरणों में गिरकर क्षमायाचना करने लगे और हनुमान जी को वचन दिया कि हनुमान भक्तों पर से शनि का प्रकोप हट जाएगा। तभी से हनुमानजी के भक्तों पर शनिदेव की तिरछी नजर का प्रकोप नहीं होता है।
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