मंत्र शक्ति के समक्ष स्वयं देवता भी असमर्थ || तपना आवश्यक || Suresh Shrimali

मंत्र शक्ति 
के समक्ष 
स्वयं देवता असमर्थ

मंत्रों में तो वह शक्ति है कि स्वयं देवता भी उसके समक्ष असमर्थ हो जाते हैं। इसके प्रत्यक्ष प्रमाण हमें रामायण में प्राप्त होते हैं। श्रीराम भगवान श्रीविष्णु के अवतार थे और उनका जन्म ही असुरों के नाश के लिए हुआ था। जब राम-रावण में युद्ध हो रहा था तो अप्रत्यक्ष रूप से देेवी-देवता भी श्रीराम का ही समर्थन कर रहे थे, सहयोग भी दे रहे थे। इसी कारण युद्ध से पूर्व श्रीराम ने रामेश्वर में सोने की सीता को साक्षी बनाकर यज्ञ किया, जिसमें सभी देवी-देवताओं ने श्रीराम को विजयी होने का आशीर्वाद दिया। जब रावण के अधिकांश योद्धा मारे गए तो रावण ने अपने पुत्र मेघनाथ को अपनी मंत्र शक्ति से ऐसा यज्ञ करने को कहा जिससे शत्रुओं का नाश होना निश्चित है। रावण अहंकारी जरूर था पर उसे वेदों का, अध्यात्म का और मंत्रों का उच्च कोटि का ज्ञान था। मंत्र शक्ति से उसने अनेक असंभव कार्यों को संभव किया। मेघनाथ को उसने विजय यज्ञ का आदेश दिया, मेघनाथ अपने मंत्र शक्ति से यज्ञ करने लगा। इधर देवताओं ने श्रीराम से कहा कि - मेघनाथ का यज्ञ रोकिए, क्योंकि उसके मंत्रों में वह शक्ति है कि यदि उसने यज्ञ पूर्ण कर लिया तो उसे हराना बहुत कठिन हो जाएगा। मेघनाथ ने यज्ञ पूरा कर लिया तो उसकी कामना पूर्ति का वरदान देने से देवताओं को कोई रोक नहीं पाएगा। इस पर श्रीराम ने अपने भाई लक्ष्मण के साथ श्रीहनुमान, सुग्रीव आदि को भेजकर यज्ञ का विध्वंस करवा दिया। क्योंकि श्रीराम को भी मंत्र शक्ति का ज्ञान था और वे मेघनाथ को यह सिद्धि होने नहीं देना चाहते थे। मंत्र शक्ति का यह प्रमाण है कि स्वयं देवता तक उसके समक्ष असमर्थ हो जाते हैं। 

तपना आवश्यक 

 मंत्र में नीहित बीजाक्षरों में उच्चारित ध्वनियों से शक्तिशाली विद्युत तरंगें उत्पन्न होती है और ये तरंगें चमत्कारी प्रभाव कैसे डालती है यह आपने अच्छे से समझा होगा। लेकिन मंत्र जप में सफलता तभी मिलती है जब आप तप करें। सोना तपता है तब आभूषण बनते हैं, लोहा तपाने पर किसी भी रूप में ढाला जा सकता है। मंत्र शक्ति जागृत करने को भी तपना पडता है। तप का अर्थ है, निरन्तरता, आस्था और विश्वास। कुछ दिन मंत्र जपा और रिजल्ट नहीं मिला तो आप उकता जाते हैं। यहीं गडबड होती है। हो सकता है कुछ दिन, कुछ सप्ताह या कुछ महीनें लग जाएं। आपको तपना होगा। तप बिना जाप जागृत नहीं होता। मंत्र-जाप अथवा मंत्र-साधना करते समय आपका इन पर पूरा विश्वास और पूर्ण श्रद्धा आवश्यक होती है। विश्वास संकल्प शक्ति से उत्पन्न होता है। आप जब मंत्र उच्चारित करते हैं तो उससे जो शक्ति उत्पन्न होती है उस शक्ति को जब आपकी संकल्प शक्ति और श्रद्धा शक्ति का बल भी मिल जाता है तो वह और अधिक शक्तिशाली बन जाती है। अधिक शक्तिशाली होकर अतंरिक्ष में व्याप्त ईश्वरीय चेतना के संपर्क में आती है। इस कारण मंत्र का चमत्कार या प्रभाव साधक को सिद्धियों के रूप में मिलता है। हम में से अधिकांश लोग प्रायः प्रतिदिन पूजा-पाठ, ध्यान और मंत्र जाप करते हैं। यह हमारी परमात्मा के प्रति श्रद्धा-आस्था और विश्वास का विषय है। लेकिन कुछ विशिष्ट पर्वों पर हम मंत्र-साधना या प्रयोग अथवा अनुष्ठान करते हैं। विशिष्ट पर्व जैसे होली, दीपावली, महाशिवरात्रि और नवरात्रा। महा शिवरात्रि, नवरात्रा और होली-दीवाली जैसे पर्वों पर रात के समय मंत्र जाप से शीघ्र सफलता प्राप्त होती है। क्योंकि इन पर्वों पर आकाश मंडल में जो ग्रह स्थितियां बनती है उसमें आपके ध्वनि से उत्पन्न तरंगों को शीघ्र गंतव्य तक यानी जिसका आप मंत्र जाप कर रहे हैं उस तक पहुंचने में सहायक होती है। यही कारण है कि इन अवसरों पर तांत्रिक लोग रात रात भर जागकर अपने मंत्रों को सिद्ध करते हैं। मंत्रों से हम एकाग्रता प्राप्त कर सकते हैं, मंत्रों से रोगों का नाश भी संभव है। यह सब चर्चा अगले एपीसोड में। तब तक के लिए नमस्कार।


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